Thursday, July 31, 2025
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘विकसित भारत 2047’ के लिए आयोजित अन्तरिक्ष सम्मेलन 2025 में लिया भाग, इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन रहे विशेष अतिथि

देहरादून, सोमवार — मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में ‘विकसित भारत 2047’ के निर्माण हेतु हिमालयी राज्यों के परिप्रेक्ष्य में आयोजित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अन्तरिक्ष सम्मेलन 2025 में भाग लिया। इस अवसर पर इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने देशभर से आए वैज्ञानिकों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत @2047’ के विजन को साकार करने की दिशा में यह सम्मेलन एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संचार, कृषि, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास में निर्णायक भूमिका निभा रही है।

मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक श्री शुभांशु शुक्ला द्वारा तिरंगा फहराने को देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया और इसे गगनयान सहित आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए प्रेरणादायक बताया। इस अवसर पर उन्होंने चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए इसरो और यूकास्ट द्वारा विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया और इसरो द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विज्ञान और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तराखंड में साइंस सिटी, इनोवेशन सेंटर, एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन और अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना तेजी से की जा रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

इसरो चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि 1963 में जब भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था, तब रॉकेट साइकिल से ले जाए जाते थे। आज भारत 131 सैटेलाइट्स का स्वामी है और चंद्रयान, मंगलयान और आदित्य एल-1 जैसे मिशनों में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक मानव को चंद्रमा पर भेजने का है।

राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने बताया कि उत्तराखंड में आपदाओं, पशुधन, वनाग्नि व ग्लेशियर मॉनिटरिंग में सैटेलाइट डेटा का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऋषिगंगा चमोली आपदा के दौरान सेटेलाइट डेटा से तैयार मैप का राष्ट्रीय नीति निर्धारण में भी योगदान रहा।

मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने कहा कि राज्य अंतरिक्ष तकनीक को अपनाने के साथ-साथ स्थायी वैज्ञानिक आधारभूत संरचना के विकास पर कार्य कर रहा है। उन्होंने इसरो से कुछ साइंस सेंटर को गोद लेने और उच्च-रिज़ोल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी राज्य को निःशुल्क उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया।

यह सम्मेलन न केवल उत्तराखंड के लिए बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका को और अधिक स्पष्ट करने में सहायक सिद्ध होगा।

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