मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने पर आयोजित सम्मान समारोह में प्रतिभाग किया।
हालाकि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सम्मान व्यक्तिगत नहीं बल्कि उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता का सम्मान है। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों के आशीर्वाद और समर्थन से ही समान नागरिक संहिता जैसे ऐतिहासिक कदम को साकार किया जा सका।
आपको बता दें कि समान नागरिक संहिता लागू कर राज्य सरकार ने संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा कि अब राज्य में सभी नागरिकों के अधिकार समान हो गए हैं और यू.सी.सी. ने समाज में व्याप्त भेदभाव को समाप्त करने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि समान नागरिक संहिता के माध्यम से विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की गई है। लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण को अनिवार्य बनाए जाने से बहन-बेटियों की सुरक्षा को और सुदृढ़ किया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि समान नागरिक संहिता की यह गंगा उत्तराखंड से निकलकर पूरे देश में बहने लगेगी।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की विचारधारा सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय एकता जैसे मूल्यों पर आधारित है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है और बाबा साहेब अंबेडकर से जुड़ी स्थलों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह भी कहा कि उत्तराखंड सरकार ने दंगारोधी कानून, धर्मांतरण कानून और ऑपरेशन कालनेमि जैसे कड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं ताकि राज्य की डेमोग्राफी में किसी भी प्रकार का अवांछनीय परिवर्तन न हो सके।
इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, साध्वी रेणुका, स्वामी निरंजन चैतन्य महाराज, आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय रुहेला, विधायक सुरेश गड़िया, सफीपुर (उन्नाव, उत्तर प्रदेश) के विधायक बंबा लाल दिवाकर सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।