नई दिल्ली: भारत की जनसंख्या अब 1.46 अरब के आंकड़े को पार कर चुकी है, जिससे यह दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना हुआ है। हालांकि, जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार में अब गिरावट देखने को मिल रही है। देश में कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) अब घटकर 2.0 पर आ गई है, जो जनसंख्या स्थिरता के स्तर (2.1) से नीचे है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह संकेत है कि भारत धीरे-धीरे जनसंख्या स्थिरीकरण की ओर बढ़ रहा है। शहरीकरण, महिलाओं की शिक्षा में वृद्धि, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच और परिवार नियोजन कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता इस गिरावट के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
हालांकि, विभिन्न राज्यों में यह दर भिन्न है। कुछ राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में अब भी फर्टिलिटी रेट 2.1 से ऊपर है, जबकि दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में यह काफी नीचे पहुंच चुकी है।
सरकार का मानना है कि जनसंख्या स्थिरता सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अनुकूल स्थिति प्रदान करेगी। आने वाले वर्षों में युवाओं की घटती संख्या, वृद्धजन आबादी में बढ़ोतरी और श्रमशक्ति में बदलाव जैसे विषयों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी।